सेल्फ अफर्मेशन IOIC के साथ………. गुरमीत सिंह

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गुरमीत सिंह

मन से संवाद के द्वारा आंतरिक परिवर्तन

सांसारिक ख्वाहिशों को पूरा करने के चलते,मन में जो कूड़ा कचरा एकत्रित होता जाता है,वह नकारात्मक भावनाओं को अपने अंदर स्थाई निवासी बना लेता है, व इनकी आदत डाल लेता है।अपनी क्षमताओं से अधिक लक्ष्य की प्राप्ति तथा जीवन के दैनिक संघर्षों से उपजा तनाव, शरीर को सामना करने के लिए जो रसायन स्रावित करते हैं,वह विभिन्न अंगों पर हानिकारक प्रभाव डालते है, प्रारंभ इन साइड इफेक्ट्स का पता नहीं चलता,परंतु लगातार यही स्थितियां बनी रहने से,अंगों की कार्य शीलता धीरे धीरे जब कम होने लगती है, तभी निरंतर गिरती क्षमता के कारण अहसास होना शुरू होता है कि,सब कुछ ठीक ठाक नहीं हैं। शरीर पर सबसे ज्यादा असर,क्रोध,लालच,भय तथा अहम जन्य वृतियों से उपजे तनाव का होता है।सब कुछ पा लेने की होड़ में,शांति,चैन,आनंद,दया,प्रेम तथा स्नेह की पॉजिटिव भावनाएं तिरोहित हो जाती है।

हमें इस अंधी दौड़ में पता ही नहीं चलता कि,कब ह्रदय और मन में कांटों का जंगल बसा लिया है, जिससे हमारी कोमल भावनाएं इन कांटो के नीचे दब कर कराह रही हैं।जब शरीर जवाब देने लगता है,तो खोज शुरू होती है,शांति और आनंद की।अब सबसे बड़ी जरूरत होती है कि,कैसे इन कांटो से मुक्ति पाकर प्रेम और आनंद के दबे,कुचले पौधे को पल्लवित किया जाए।शारीरिक अंगों की व्याधि इलाज तो उचित चिकित्सक से कराया जा सकता है,परंतु मन का इलाज तो अपने को स्वयं ही करना होगा। जब तक मन दुरुस्त नहीं करेंगे, तब तक शारीरिक व्याधियां में भी अपेक्षित सुधार नहीं होगा।

वास्तव में मन पर जितना बल लगाया जाएगा,वह न्यूटन के नियम का पालन कर उतना ही प्रतिरोध तथा प्रतिक्रिया करेगा। अत: जरूरत मन से मित्रता स्थापित कर अपनी कमियों को पहचानने तथा उनको बिना प्रतिरोध के आत्मस्वीकृति देने की है।इसका सबसे सरल उपाय है,मन से शांत होकर खुद से विभिन्न प्रश्नों यथा,अपने रिश्ते,भय,क्रोध,मोह,अशांति,आक्रोश तथा बैचैनी इत्यादि के माध्यम से मित्रवत संवाद करें।धीरे धीरे आप पाएंगे कि,आपकी समस्याओं का निराकरण तथा उत्तर आपके अंदर ही है।मन स्वयं ही आपको उत्तर देने लगेगा।

दूसरों को ज्ञान वितरण के स्थान पर अपने मन को ज्ञान बांटना ही हितकारी होगा अब पहले मन के दूषित होने की प्रतीक्षा करें,फिर स्वयं के परिमार्जन का सोचें,उससे पूर्व ही जाग्रत होने की आवश्यकता है।यहीं सेल्फ अफर्मेशन अर्थात स्वयं से संवाद तथा मन को निर्देश दिए जाने की भूमिका प्रारंभ होती है।अगर मन नकारात्मक विचारों से भरा हुआ है,तो तत्काल इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी पाया गया है।स्वयं के अवचेतन को निर्देश देना प्रारंभ में कष्टकारी लग सकता है,परंतु निरंतर अभ्यास से,मन आपसे मित्रता कर दिए गए निर्देशों का पालन करने लगेगा।यह एक अत्यंत सहज तथा सरल विधि तथा प्रक्रिया है,जो मन को भी स्वीकार्य होगी।

जब आपको समाधान मिलना प्रारंभ हो जाएं तो,आहिस्ता आहिस्ता आप स्वयं को सकारात्मक भावनाओं के संदेश तथा निर्देश देना शुरू कर दें।आप खुद से कहें, मैं शांत हो रहा हूं,मेरा क्रोध तथा आवेश समाप्त हो गया है,मेरा आत्मविश्वास तथा उत्साह बढ़ता जा रहा है,अब भय पूर्णत:समाप्त हो गया है। मेरे ह्रदय में प्रेम और प्रसन्नता की लहरें बह रहीं हैं,पूरा शरीर हल्का हो गया है। मैं सहज तथा सरल हूं,ईश्वरीय ऊर्जा का निरंतर प्रवाह मेरे शरीर में हो रहा है।आपकी पूरी हो सकने वाली आकांक्षाओं को भी मन में प्रवाहित कर संदेश दें कि,आपने अपने लक्ष्य प्राप्त कर लिए है,और आप बहुत खुशी का अनुभव कर रहे हैं,दिव्य की कृपा आपको निरंतर प्राप्त हो रही है।इसी प्रकार के सकारात्मक अन्य संदेश भी दिए जा सकते हैं।

ऐसे ही निरंतर स्वयं से संवाद तथा मन को निर्देश देते हुए,सेल्फ अफर्मेशन की प्रक्रिया निरंतर एक आशा,शांति तथा उत्साह के साथ जारी रखें।शीघ्र ही आपको अपने अंदर सकारात्मक परिवर्तन तथा अपूर्व शांति का अनुभव होने लगेगा। इस अवर्चनीय आनंद का लाभ लेने के लिए सेल्फ अफर्मेशन की प्रक्रिया को अपने दैनिक जीवन का अंग बना लें।

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आंतरिक परिवर्तन की पहल अर्थात आई. ओ. आई. सी.

 

 

इस विषय पर आंतरिक परिवर्तन की पहल अर्थात इनिशिएशन ऑफ इनर चेंज संस्था के द्वारा मूलभूत स्तर पर सहज तथा सरल विधि के द्वारा अंतर परिवर्तन तथा सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए निशुल्क ऑनलाइन सत्र माह में दो बार आयोजित किए जाते हैं।इच्छुक सहभागी संस्था के वेबसाइट ioic.in पर पंजीयन कर इन कार्यशालाओं में भाग लेकर लाभ प्राप्त कर रहे हैं।इन सत्रों को इतने सरल रूप में रूपांकित किया गया है कि,सहभागी स्वयं से प्रश्न उत्तर के माध्यम से मौन संवाद कर अपनी खूबियों तथा कमियों का आकलन करते है,तथा मन स्वयं ही आत्म स्वीकृति के माध्यम से अंदर सहेजे हुए नकारात्मक भावनाओं तथा दृष्टिकोण को परिमार्जित कर व्यक्तित्व को प्रेम तथा आनंद की भावनाओं से भर देता है।संस्था की वेबसाइट नीचे दर्शित है,जिस पर क्लिक कर आप सीधे वेबसाइट से जुड़ कर विभिन्न प्रस्तावित सत्रों में भाग ले सकते हैं।


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3 thoughts on “सेल्फ अफर्मेशन IOIC के साथ………. गुरमीत सिंह

  1. विभिन्न विषयो पर बहुत ही सुन्दर लेखन है दिनो दिन लेखनी मे निखार आ रहा है keep it up

    1. शुक्रिया हनीफ भाई।मुझे प्रसन्नता है कि आप प्रत्येक लेख को गहराई से पढ़ते है,और प्रेरणा देते हैं।

  2. Aap ka aadhayn abm giyan gahra he logno ko aap ke lekh se sabhi log labhanbit honge Jeevan June ki sheli badal jabgi

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