जगत संगीत से अनुकूलन,अनंत से जोड़ता है।

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संगीत जहां एक और आत्मा की धरोहर है,वहीं दूसरी और परम पिता की ब्लेसिंग भी है,जो निरन्तर सृष्टि के सृजन से ही गूंज रही है।

गुरमीत सिंह

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