क्या आप ऑटो पायलट मोड पर चल रहे हैं ?
जीवन यात्रा रूपी वाहन अपने आप चल रहा है।प्रतिदिनवही एक जैसा रूटीन, स्थाई रूप से अपरिवर्तित, अलग सोचने का न समय न साहस।ड्राइवर ने गाड़ी ऑटो पायलट मोड पर स्थाई रूप से डाल रखी है, व खुदअतीत और भविष्य के चिंतन में व्यस्त है, आसपास की कोई खबर नहीं, पर खुद को होशमें मानते हैं।प्रकृति व डिवाइन के अमूल्य उपहारों को महसूस करने सेअनिभिज्ञ, खूशी की तलाश में हिरण की तरह दौड़ लगा रहे हैं।क्या यथार्थ में बीइंग माइंडफुल हैं? सोचिये ….!
बहुत सुनते हैं कि,वर्तमान में रहें । बीइंग माइंडफुलनेस पर कई लेख, वीडियो,
सुझाव, ऑडियो इत्यादि प्रायः देखने व पढ़ने में आते रहते हैं।काफी टेक्नीक,प्रक्रिया, प्रस्तुतियां दी
जाती हैं, पर जब व्यवहारिक जीवन में इन पर अमल की बात आती है, तो लगता है कि, पढ़ने व सुनने
में जितना आसान है, वास्तव में इन पर अमल करना उतना ही कठिन है।
वास्तव में तो लोगों को पता ही नही चलता है कि,कब उनका जीवन पूर्णतया यांत्रिक हो गया है,व वे ऑटो पायलट मोड
पर आ चुके हैं।उनकी दैनंदिनी गतिविधियां स्वचालित रूप से अवचेतन मन के द्वारा नियंत्रित हो रही हैं।
क्या आपको याद है कि, आपने सुबह सुबह चिड़ियों का कलरव कब सुना व उसे अनुभव किया था ? तितलियों को उड़ते हुए देखना तो अब याद भी नहीं हैंं,मनपसंद गाने पर अनायास ही गुनगुनाना,डांस करने लग
पड़ना अतीत की बात हो गई है, कभी मन करता भी है तो ईगो आड़े आ जाता है… लोग क्या सोचेंगे?
तालाब की लहरें गिनना,लहरों की दिलकश ध्वनि,बरसात में भीगने का आनंद,न जाने किधर खो गए हैं।
अब हम, हम नहीं …..? मशीन हो गए हैं। सब यंत्रवत स्ववचालित ..सुबह होती है,शाम होती हैै,जिंदगी यूं ही तमाम
होती है।
हम ऐसे कब और क्यों हो गए पता ही नही चला।वर्तमान को अनुभव करते हुए कार्य करना भी हो सकता है ये तो सोचा ही नही।नहाते हुए पानी की एक एक बूंद और उसके आनन्द को अनुभव कब किया
याद नहीं।हमारे दैनिक क्रिया कलाप कब अवचेतन ने अपने नियंत्रण में ले लिए ये तो सोचा ही नहीं।
सोचिये क्या आप वास्तव में ऑटो पायलट मोड पर जा चुके हैं, जिसका चालक आपका अवचेतन मन है, और चेतन मन तो न जाने कहाँ खोया हुआ है।चेतन मन भूत काल की गलियों में गलतियों को ढूंढने में लगा है,अथवा भविष्य की सुरक्षा ,डर में हैरान परेशान है।जो आज नहीं है उसमें परेशान है, अहंकार को पोषित करने में व्यस्त है, जो आगे निकल गए है उनको कैसे हराएं इसकी योजना बना रहा है।दूसरों की खुशी के कारण खोज रहा है,उनको परेशान कैसे करें इसमें विचार मग्न है।
ऐसा क्यों हो गया…..?? यह अचानक से आज नहीं हो गया है, यह बुनियाद तो बचपन में ही पड़ गई थी।
आज जब बीइंग माइंडफुल की बात चलती है, कहा जाता है कि, जीवन का असली आनंद तो वर्तमान को शिद्दत केे साथ जीने में वे आत्मिक उल्लास को अनुभव करने में है तो यह एक मात्र उपदेेेश की तरह लगता है।
Being mindful…बिल्कुल संभव है,अगर इसके कारण व निवारण का विस्तृत विश्लेषण करने के लिए तैयार व तत्पर हों।जैसे ही आप इसको समझेंगे और अपनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाएंगे आप देखेंगे धीरे धीरे परिवर्तन आने लगा है।अनायास खुशी का अनुभव होने लगेगा।
आज जो हमारी धारणा स्वयं के प्रति,समाज के प्रति,परिवार के प्रति है, उसको स्थापित होने में वर्षो लगे हैं।हमारी धारणा ही विचारों की गुणवत्ता के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है।पारिवारिक व सामाजिक पाारिवेश ,शिक्षा,विवेक,आकलन क्षमता, ही धारणाओं को अवचेतन मन मे स्थापित करती हैं, व जीवन के प्रति दृष्टिकोण निर्धााारित होता है, अगर बचपन से ही नकारात्मक भावनाएं, डर,हीनता,इर्ष्या, क्रोध, लालच मन में जड़े जमा लेंगे तो अवचेेेतन मन में यह धीरे धीरे स्थाायी होने लगेंंगे,हमारा चेतन मन इन्ही भावनाओं व विचारों में उलझना शुरू हो जाता है।हमारे न चाहने पर भी चेतन मन बार बार ,भविष्य तथा भूूूतकाल की चिंताओं में
अनायास व्यस्त हो जाता है।ऐसे में जीवन के सामान्य क्रिया कलाप अवचेतन मन के नियंत्रण में आने लगते हैं और हम ऑटो पायलट मोड में पंहुच जाते हैं।
जीवन मे खुशी,प्यार,शांति,जो मुख्यतः आत्मा का आहार है वो गायब होने लगता है क्योंकि इन इमोशन को अनुभव करने वाला चेतन मन तो किसी और काम मे खोया रहता है,अर्थात हम होश में रह के भी बेहोश है।होश में हैं, लेकिन जागरूक नहीं हैं।इन स्थितियों को यदि समझ लें तो,हमारे वस्तविक होश में आने के अवसर उपलब्ध होने लगेंगे।
आत्मा शरीर व मन जब एकीकृत होने लगते हैं, तो डिवाइन एनर्जी का अलौकिक उपहार हमें एक ऐसी स्थिति से रूबरू कराता है जो चमत्कारिक आनंद सेे प्रकाशित है।
तो करना क्या है ? अपने हर पल को ,हर गतिविधि को हर क्षण अनुभव करना है।हर कार्य को आनंद के साथ
करें।यह सही है कि,यात्रा की सड़क सरल नहीं हैं, अनेक चुनोतियाँ हैं, सर्वाइवल का संकट है।पारिवरिक उत्तरदायित्व हैंं,परन्तु इन सब से निपटने के लिए पीसफुल माइंड ,निर्णय लेेेने की कैैपासिटी ,आत्मविश्वास, आवश्यक है।
अगर हम हर समय वर्तमान में हैं, तो विश्लेषण कर रास्ते आसानी से निकाल सकते हैं, और जब मार्ग पता हो,ड्राइविंग में कुशल हों तो अज्ञात का भय अपने आप दूर हो जाता है।यात्रा आनंदित करने लगती है, तब खुशी कहीं खोजनी नहीं होती ,अपने आप मिलने लगती है। स्मार्ट ड्राइवर, भीड़ भरी सड़को में अस्त व्यस्त
ट्रैफिक में, अपनी गाड़ी को आसानी से गुनगुनाते हुए,बिना तनाव के निकाल कर ले जाता है,व संक्षिप्त में कहें तो यही बीइंग माइंडफुलनेस है।
तो आइए ऑटो पायलट मोड को छोड़कर, वापस वर्तमान में आ जाएं, तथा एक स्मार्ट ड्राइवर बन जाएं।वर्तमान को महसूस करें, आनंदित हो जाएं,खुद भी व करीबी भी।वर्तमान में रहने में कठिनाई आ रही है तो ध्यान करें, कुुुछ समय विचार विहीन हो जाएं, नकारात्मक धारणाओं को पहचाने व उनको दूर करें।परिवर्तन को स्वीकारें, फिर स्वमेव चमत्कार देखें।अब आप वह हो,जो आप मूलतः थे,परन्तुऑटो पायलट मोड में आ जाने से अपने मूल आस्तित्व को विस्मृत कर बैठे थे।उठो नाचो, गुनगुनाओ, पसंद के गीत गाओ।